भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने दोपहर 3:25 बजे भारतीय उपग्रह रीसैट-2बीआर1 और चार अन्य देशों के 9 सैटेलाइट लॉन्च किए। यह प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी48 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। रीसैट-2बीआर1 रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है। यह बादलों और अंधेरे में भी साफ तस्वीरें ले सकता है। अर्थ इमेजिंग कैमरे और रडार तकनीक के चलते यह मुठभेड़-घुसपैठ के वक्त सेना के लिए मददगार होगा।
35 सेमी की दूरी पर स्थित दो चीजों को पहचान लेगा
रीसैट-2बीआर1 पांच साल तक काम करेगा। इससे रडार इमेजिंग कई गुना बेहतर हो जाएगी। इसमें 0.35 मीटर रिजोल्यूशन का कैमरा है, यानी यह 35 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित दो चीजों की अलग-अलग और स्पष्ट पहचान कर सकता है। यह सीमावर्ती इलाकों में आतंकी गतिविधियों और घुसपैठ पर नजर रखेगा। इससे तीनों सेनाओं और सुरक्षाबलों को मदद मिलेगी। इसका वजन 628 किलोग्राम है। इसे प्रक्षेपण के 17वें मिनट में जमीन से 578 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
सुरक्षा एजेंसियों को 4 रीसैट की जरूरत
इसरो रीसैट सीरीज के अगले उपग्रह रीसैट-2बीआर2 की लॉन्चिंग भी इसी महीने करेगा। इसके बाद एक और सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा। हालांकि, इनकी तारीख अभी तय नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों को एक दिन में किसी एक स्थान पर सतत निगरानी के लिए अंतरिक्ष में कम से कम चार रीसैट की जरूरत है। किसी एनकाउंटर या घुसपैठ के समय ये चारों सैटेलाइट उपयोगी होंगे। 6 मार्च तक इसरो के 13 मिशन कतार में हैं। इनमें 6 बड़े व्हीकल के मिशन हैं, जबकि 7 सैटेलाइट मिशन हैं।